सवालात
जो सावाल हैं ज़हन में,
कहीं वो सवाल-ए-मख़्लूक़ तो नहीं?
जो सफर तय किया है इन जवाबों के लिए,
वही जवाब-ए-वजूद तो नहीं?
जो गर यहीं तक था मसला सवालों का,
तो कहीं ये शब-ए-आख़िरत तो नहीं?
जो गर बची है जिंदगी अब तो आखिर क्यों?
यही सवाल-ए-आख़िरत तो नहीं?
सवाल-ए-मख़्लूक़: Questions of creatures
जवाब-ए-वजूद: Answers of existence
शब: Night
आख़िरत: The end
कौन हूं मैं ?
नशे में सराबोर हूं मैं,
या खुदा, ये कौन हूं मैं?
क्या अंजुमन, क्या महफिलें,
इन ख्यालों से ग़ाफ़िल हूं मैं
या खुदा, ये कौन हूं मैं?
दुनियाई हुलिया रिंद ही सही,
ज़हनी तौर से वाइज़ हूं मैं,
या खुदा, ये कौन हूं मैं?
क्या महज़ ख़ुद-परस्त हूं मैं,
या खुदा, ये कौन हूं मैं?
सराबोर: drenched
अंजुमन: society
ग़ाफ़िल: neglectful
रिंद: Drunkard
वाइज़: Preacher
महज़: mere
ख़ुद-परस्त: Narcissist